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COVID-19 4th Wave: क्या नए वैरिएंट XE से भारत में आएगी कोरोना की चौथी लहर? जानें कितना है खतरा

发表于 2023-09-20 02:34:47 来源:रशिया युक्रेन युद्ध
देश में कोरोना का खतरा कम होही रहा था कि दुनिया में मिलने वाले कोरोना के नए वैरिएंट XE ने चिंता फिर बढ़ा दी है. WHO ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा था,क्यानएवैरिएंटXEसेभारतमेंआएगीकोरोनाकीचौथीलहरजानेंकितनाहैखतरा नया म्यूटेंट वैरिएंट XE ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट BA.2 से करीब 10 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक हो सकता है.नए वैरिएंट मिलने के कारण स्वास्थ एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है. कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि अगर नया वैरिएंट फैला तो यह भारत में चौथी लहर (COVID-19 4th wave) का कारण बन सकता है.हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि नया वैरिएंट भारत आता भी है तो येबहुत बड़ा खतरा साबित नहीं होगा.भारत में जिस तरह कोरोना केकई वैरिएंट के मामले सामनेआ चुके हैं, उसी तरह इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि नया वैरिएंट नहीं आ सकता. इसका कारण है कि भारत से विदेशों की फ्लाइट चालू हो गई हैं. हो सकता है कोई यात्री इस वायरस से संक्रमित हो और भारत आने के बाद उसकी शुरुआती रिपोर्ट नेगेटिव आए और बाद में उस वायरस की रिपोर्ट पॉजिटिव आए.यह भी कहना गलत नहीं है कि हो सकता है XE वैरिएंट इंडिया में पहले ही आ चुका हो और उससे संक्रमित व्यक्ति हमारे आसपास ही घूम रहा हो. हो सकता है, संक्रमित व्यक्ति को अपने आपमें कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे हों और लक्षणनजर आने पर उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आए.लेकिन सोचिए, तब तक वह कितने लोगों में वायरस फैला चुका होगा?जिस तरह कोरोना का पिछला वैरिएंट ओमिक्रॉन से भारत में अधिक जोखिम नहीं था, हो सकता है उसी तरह भारत में इस वैरिएंट से भी खतरा न हो. लेकिन यह तो आने वाला समय ही बताएगा.जॉन्स हॉपकिन्स के गुप्ता-क्लिंस्की इंडिया इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा में वायरोलॉजिस्टगगनदीप कांग ने कहा, 'वैरिएंट्स आएंगे क्योंकि लोग अब यात्रा कर रहे हैं. जितना हम XE वैरिएंट के बारे में जान पाए हैं, यह चिंता का विषय नहीं है. हम BA.2 के बारे में चिंतित थे, लेकिन यह BA.1 से अधिक गंभीर नहीं निकला. XE वैरिएंट भी BA.1 या BA.2 (Omicron के सब वैरिएंट्स) से अधिक गंभीर बीमारी नहीं बनाता है.' उन्होंने कहा कि भारत मेंवैक्सीनेटेड लोगों को इस वैरिएंट से बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं है.'इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) में एपिडेमियोलॉजी एंड कम्युनिकेबल डिजीज डिवीजन के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़ेकर के मुताबिक ' XE वैरिएंट एक रिकॉम्बिनेंट है. इसका मतलब है कि इसमें ओमिक्रॉन के दोनों रूपों BA.1 और BA.2 के म्यूटेशन मिले हैं. जब रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट होता है तो यह काफी कम समय तक टिकता है. शरीर में 2 अलग-अलग प्रकार के वायरस मिलकर नया वायरस बनाते हैं. लेकिन रिकॉम्बिनेंट होने से वायरस ज्यादा ताकतवर नहीं हो जाता है.WHO की चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामीनाथन (Scientist Soumya Swaminathan) के मुताबिक, XE वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट की तरह खतरनाक नहीं होगा. भारत में अधिकांश लोग वैक्सीनेटेड हो चुके हैं. शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक यह कहा जा रहा है कि यह वैरिएंट अन्य वैरिएंट से 10 प्रतिशत अधिक तेजी से फैलता है. लेकिन अभी इस वैरिएंट पर अधिक स्टडी की जा रही है. अभी इससे संक्रमित मरीजों के गंभीर मामले सामने नहीं आए हैं.अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भी XP वैरिएंट के बारे चिंता न करने को कहा हैक्योंकि उनका मानना है कि यह वैरिएंट जनवरी से आसपास सामने आया था, लेकिन इसकी वजह से अभी तक ओमिक्रॉन की तरहकोरोना के मामलों में बढ़ोतरी नहीं देखने को मिलीहै. हालांकि,उन्होंने पूरी सावधानी बरतने की सलाह दी है.एक्सपर्ट का मानना है कि अगर सावधानी नहीं बरती गई तो कोरोना की नई लहर को नकारा नहीं जा सकता. इसका कारण है कि वायरस अभी खत्म नहीं हुआ है, वह लगातार अपना रूप बदल रहा है. लेकिनपिछले वैरिएंट के कम जोखिम और भारत में वैक्सीनेशन की स्थिति को देखते हुए यह भी कहा जा सकता है किअगर कोई नया वैरिएंट आता हैतो वह शायद पहले आईं दोलहरों की तरह खतरनाक नहीं हो.कोरोना की पहली लहर के बाद से लोगों ने अपनी सेहत पर ध्यान देना शुरू कर दिया है और इम्यूनिटी को भी मजबूत करने के लिए कई तरीके अपना चुके हैं. अगर आने वाले वायरस को भी मजबूत इम्यूनिटी से हराया जा सकता है, तो चौथी लहर की संभावना कम हो सकती है. लेकिन इसके बाद भी कोरोना संबंधित नियमों का पालन जरूर करेंक्योंकि सावधानी से ही इस वायरस को हराया जा सकता है.SARs-COV-2 जिसे कोरोनावायरस के नाम से जाना जाता है, उसके भारत में कई वैरिएंट मिल चुके हैं. समय के साथ-साथ यह वायरस अपना रूप बदल लेता है और फिर अधिक घातक हो जाता है. WHO के मुताबिक "जब कोई वायरस खुद की नकल करता है तो वह थोड़ा बदल जाता है.इन बदलाव को म्यूटेशन कहा जाता है. एक या एक से अधिक नए म्यूटेशन वाले वायरस को मूल वायरस का वैरिएंट कहा जाता है. दुनिया भर में COVID-19 वायरस के अभी तककई वैरिएंट सामने आए हैं. जैसे:कोरोना का नया वैरिएंट XE ओमिक्रॉन के 2 सब लीनेज BA.1 और BA.2 का रीकॉम्बिनेंट स्ट्रेन है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि ये वैरिएंट कितना खतरनाक होगा. दुनियाके कुछ देशों में इस वैरिएंट के केस सामने आ चुके हैं. मुंबई में भी XE वैरिएंट के मिलने की पुष्टि की गई थी, लेकिन स्वास्थ मंत्रालय ने इस बात का खंडन किया है.डेल्टाक्रॉन,रिकॉम्बिनेंट वैरिएंट है, जो कि ओमिक्रॉन और डेल्टा वैरिएंट के जुड़ने से बना है. डेल्टाक्रॉन की पहचान फरवरी 2022 में हुई थी. दरअसल, पेरिस में Institut Pasteur के वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस का एक नया वैरिएंट देखा थाजो कि पिछले वैरिएंट्स से बिल्कुल अलग था.इसे डेल्टाक्रॉन कहा गया. नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक, ओमिक्रॉन और डेल्टा के रिकॉम्बिनेशन से बने इस वायरस के लक्षण वैसे ही हैं, जैसे कि पिछली महामारी में थे.ओमिक्रॉन वैरिएंट का पहला केस दक्षिण अफ्रीका में खोजा गया था. इसे WHO ने काफी खतरनाक बताया था. साथ ही यह भी कहा था कि इस वैरिएंट को कमजोर समझना बहुत बड़ी भूल हो सकती है. WHO ने इस बात पर भी जोर दिया था कि यह वैरिएंट आने वाले दिनों में अधिक जोखिम पैदा कर सकता है. पिछले कुछ समय में ओमिक्रॉन ने भारत समेत कई हिस्सों को प्रभावित किया है. हालांकि भारत में ओमिक्रॉन के ज्यादातर मामले गंभीर नहीं रहे.कोरोनावायरस की दूसरी लहर में हुई तबाही से हर कोई वाकिफ है. सावधानी न बरतने और लापरवाही के कारण कोविड मामलों में इस वैरिएंट ने काफी वृद्धि की थी. माना जाता है कि B.1.617 संस्करण में 2 अलग-अलग म्यूटेशन शामिल हैं, E484Q और L452R. जीनोम सिक्वेंसिंगऔर टेस्टिंग की मदद से भारत में डबल म्यूटेशन का पहला मामला महाराष्ट्र में मिला था.भारत में कोरोना की दूसरी लहर के बाद एक और खतरनाक वैरिएंट की उपस्थिति के बारे में बताया था, जिसे डेल्टा प्लस नाम से जाना गया था. एक्सपर्ट के मुताबिक, डेल्टा प्लस वैरिएंट को डेल्टा से अधिक खतरनाक माना गया था. भारत के अलावा, यूएस, यूके, पुर्तगाल, स्विटजरलैंड, जापान, पोलैंड, नेपाल, चीन और रूस में भी इस वैरिएंट के केस सामने आए थे.SARs-COV-2 वायरस का कप्पा वैरिएंट पहली बार भारत में दिसंबर 2020 में मिला था. इसे मूल वायरस के डबल म्यूटेशन के रूप में जाना जाता है, जिसे वैज्ञानिक रूप से B.1.167.1 कहते हैं.बताया जाता है कि इस वैरिएंट में E484Q और E484K म्यूटेशन भी शामिल है, जो क्रमशः ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के डोमिनेंट वैरिएंट हैं.B.11.318 वैरिएंट, कप्पा वैरिएंट की तरह म्यूटेशन से बना था. जानकारी के मुताबिक, भारत में इस वैरिएंट के 2 केस मिले थे. मूल वैरिएंट B.1.617 की चैन B.1.617.3, डेल्टा वैरिएंट B.1.617.2 का ही एक हिस्सा है, जिसे भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार कहा जाता है. किसी भी हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने अभी तक इस वैरिएंट को खतरनाक नहीं बताया था.
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